कोरोना को लेकर मचे शोर ने पोल्ट्री उद्योग को बुरी तरह प्रभावित

गोरखपुर, कोरोना को लेकर मचे शोर ने पोल्ट्री उद्योग को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। चिकन पर इस वायरस का असर न होने के बावजूद अफवाह और डर के चलते मांसाहार के शौकीनों ने चिकन से दूरी बना ली है। नतीजा है कि गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र में मुर्गे की डिमांड 25 से 60 फीसद घट गई है। आपूर्ति के मुकाबले उत्पादन ज्यादा होने से कीमतों में आई गिरावट ने कारोबारियों को चिंता में डाल दिया है।


मुर्गों की डिमांड कम


पोल्ट्री फार्म संचालक बताते हैं कि गोरखपुर और आसपास के जनपदों में हर माह करीब 50 लाख मुर्गों की खपत होती है। पिछले कुछ दिनों से ग्रामीण क्षेत्रों में 60 जबकि शहर में डिमांड 25 फीसद कम हो गई है। जिस फार्म पर 20 हजार मुर्गों का उत्पादन था वहां 10 हजार प्रति माह कर दिया गया है। सामान्य दिनों में जहां से 25 क्विंटल चिकन की आपूर्ति होती थी वहां से 18-20 क्विंटल ही चिकन ही जा रहा है।


लागत निकालनी भी मुश्किल


पोल्ट्री फार्म संचालक विनोद सिंह का कहना है कि एक मुर्गे पर 73 रुपये की लागत आती है। सामान्य दिनों में यह 85 रुपये में बिकता था लेकिन अभी 60 से 65 रुपये में बेचना पड़ रहा है। न बेचने पर मुर्गे को दाना देना पड़ता है, जिससे लागत बढ़ती जाती है। ऐसे में नुकसान उठाकर भी उत्पाद बेचना पड़ रहा है। होली के मद्देनजर उत्पादन बढ़ाया गया था, लेकिन इस अफवाह ने परेशानी बढ़ा दी। फुटकर कारोबारी अब्दुल के अनुसार कीमतों में प्रति किलो 15 से 20 रुपये की कमी आई है।


ऑनलाइन पर मिल रही छूट


चिकन की खाद्य सामग्री ऑनलाइन मंगाने पर 60 फीसद तक छूट मिल रही है। मांग बनी रहे, इसलिए रेस्टोरेंट संचालक डिस्काउंट दे रहे हैं। स्विगी, जोमैटो जैसी सर्विस चेन पर यह मिल रही है।


क्‍या कहते हैं बिक्रेता


वीके पोल्ट्री फार्म के विनोद सिंह का कहना है कि चिकन पर कोरोना का कोई असर नहीं है, लोग फिर भी डर रहे हैं। इसके चलते पोल्ट्री उद्योग की स्थिति खराब हो गई है। ऐसे ही हालात रहे तो फार्म चलाना मुश्किल हो जाएगा। जबकि सिंह एग्रो फार्म के रंजीत सिंह का कहना है कि भ्रांति फैलाने में ज्यादा भूमिका सोशल मीडिया की है। तथ्यों की पड़ताल किए बगैर ही लोग हर सूचना को सही मान लेते हैं। चिकन पर वायरस का कोई असर नहीं है। इसी तरह से पोल्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ यूपी के अध्‍यक्ष सुधीर सिंह का कहना है कि अफवाह के चलते बाजार खराब हो गया है। केंद्र सरकार भी बता चुकी है कि चिकन सुरक्षित है। इसके बावजूद भ्रांति खत्म नहीं हो रही। शहरी क्षेत्र में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन गांव में लोग अभी बच रहे हैं।


पूरी तरह सुरक्षित हैं पोल्ट्री उत्पाद


भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने 10 फरवरी को एडवाइजरी जारी की थी। इसमें बताया गया कि पोल्ट्री उत्पाद पूरी तरह सुरक्षित हैं। अभी तक पूरे विश्व में ऐसा कोई केस नहीं मिला, जिसमें कहा जा सके कि कोरोना का इस पर असर है।