गोरखपुर, शहर के निष्प्रयोज्य हो चुके छोटे-बड़े तालाबों के दिन बहुरेंगे। जिला प्रशासन ने 50 ऐसे तालाबों को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है। पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) माडल पर इन तालाबों को विकसित किया जाएगा। साथ ही कुछ निश्चित शर्तों के साथ सौंदर्यीकरण व मछली पालन समेत अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन की अनुमति दी जाएगी। जिलाधिकारी के निर्देश पर पर्यटन विभाग 'गोरखपुर लेक सिटी नाम से कार्ययोजना तैयार कर रहा है।
इसलिए की जा रही व्यवस्था
दरअसल, रामगढ़ ताल को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल बनाने के लिए दो सौ करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। लगभग चार सौ करोड़ का प्रस्ताव केंद्र व प्रदेश सरकार को भेजा गया है लेकिन ताल की सुंदरता में सबसे बड़ा रोड़ा जलकुम्भी है। इसका प्रमुख कारण ताल के अगल-बगल स्थित अन्य छोटे-छोटे तालाबों की साफ-सफाई का न होना है। बौद्ध संग्रहालय के दाहिने ओर दो छोटे-छोटे तालाब व नुमाइश मैदान के पीछे कई ऐसे तालाब हैं जिनका सौंदर्यीकरण किया जाएगा। जनता को आकर्षित करने के लिए संचालनकर्ता को बोटिंग, फूड कोर्ट समेत अन्य छोटे-छोटे कार्यक्रमों के आयोजन की छूट होगी। साथ ही तालाब को प्रदूषणमुक्त और शुद्ध पानी से लबालब रखने की भी जिम्मेदारी संचालनकर्ता की ही होगी।
जनपद में चार हजार के करीब हैं तालाब
जिला प्रशासन के मुताबिक जनपद में छोटे-बड़े तालाबों की कुल संख्या चार हजार के करीब है। ग्रामीण क्षेत्रों के तालाबों को मत्स्य पालन आदि के लिए पट्टे पर दे दिया जाता है लेकिन शहरी क्षेत्र के तालाबों का अनुरक्षण नहीं होने के कारण अधिकांश तालाब अतिक्रमण की चपेट में हैं। जो बचे हैं उनमें गंदगी का अंबार है। इस कारण जलजनित बीमारियों का खतरा बना रहता है। ऐसे में इन तालाबों व जलस्रोतों के सौंदर्यीकरण से आमजनता को मच्छरों से भी निजात मिल सकेगी।
सभी तालाब चिहि्नत
इस संबंध में जिलाधिकारी के.विजयेंद्र पाण्डियन का कहना है कि शहरी क्षेत्र के करीब 50 ऐसे छोटे-बड़े तालाब व जल स्रोत चिन्हित किए गए हैं। इनकी बेहतरी के लिए 'गोरखपुर लेक सिटी कार्ययोजना तैयार कराई जा रही है। इन तालाबों को पीपीपी माडल पर विकसित किया जाएगा। जिला पर्यावरण समिति की बैठक बुलाई गई है। इसमें सभी बिंदुओं पर चर्चा कर गाइडलाइन जारी कर दिए जाएंगे।