गोरखपुर। वॉटर पार्क नीर निकुंज के साझेदार रोहित अग्रवाल को जीडीए की शह पर पुलिस जबरन उठाकर नहीं ले गई। सोशल मीडिया में हाल ही में वायरल एक ऑडियो में वे फफकते हुए सफेद झूठ बोल रहे थे। अमर उजाला ने बृहस्पतिवार को उनके फरेब का ताना-बाना खोलने वाले एक-दो नहीं कई सबूत सामने रखे तो कल तक होठ सी कर बैठे रोहित ने कुबूल किया कि पुलिस के किसी भी अफसर ने उन्हें नहीं धमकाया था। वे वाटर पार्क का अनुबंध खत्म करने के लिए खुद चलकर सब रजिस्ट्रार ऑफिस गए थे।
ऑडियों में कल तक बेचारे बने फफकते रोहित बृहस्पतिवार को बोले, ये पूरा खेल वाटर पार्क की एक अन्य साझेदार आरती अग्रवाल के पति दीपक अग्रवाल का रचाया हुआ है। वहीं दीपक का कहना है कि या तो रोहित अभी भी जीडीए अफसरों के दबाव में हैं या फिर कोई बड़ा खेल कर रहे। उन्होंने एक आईएस अफसर और पुलिस वालों पर गंभीर आरोप लगाए जो ठीक नहीं। इसके लिए अफसरों को उनपर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। फर्म खुद उनपर एफआईआर दर्ज कराएगी।
शहर के दो बड़े व्यवसाइयों और वाटर पार्क के साझेदार रोहित व दीपक के बीच संवाद का वायरल हुए ऑडियो के बाद यह नयी पंचायत शुरू हुई। अभी तक साझेदारों का विवाद जीडीए से था अब आपस में ही रार मच गई है। पांच मिनट के इस ऑडियो में रोहित फफक कर रोते हुए जीडीए उपाध्यक्ष की शह पर पुलिस द्वारा उन्हें धमकाने और जबरन घर से उठाकर रजिस्ट्री दफ्तर ले जाकर वाटर पार्क का रजिस्टर्ड अनुबंध निरस्त कराने की बात कह रहे हैं। क्या वाकई रोहित को धमकाया गया?
प्राधिकरण की शह पर पुलिस उन्हें जबरन रजिस्ट्री दफ्तर उठा ले गई आदि आरोपों की जब अमर उजाला ने पड़ताल की तो जो तथ्य सामने आए वे एक साजिश की ओर संकेत कर रहे हैं, वो साजिश जीडीए अफसरों के खिलाफ है या साझेदारों के खिलाफ यह सच अभी किसी की भी समझ से दूर है। फिलहाल अमर उजाला की पड़ताल में जो तथ्य सामने आए है, वह ज्यों के त्यों सामने रखे जा रहे हैं, पाठक समझें की क्या चल रहा है?
सुबूत दर सुबूत
एक- अपनी कार से जीडीए पहुंचे थे रोहित
रोहित अग्रवाल 13 नवंबर की सुबह 11.30 बजे खुद अपनी कार से जीडीए दफ्तर पहुंचे। उनके साथ उनका बेटा भी था, जबकि वायरल ऑडियो में उन्होंने घर में अकेले रहने की बात कही। यह भी कहा कि उन्हें पुलिस जबरन रजिस्ट्री दफ्तर उठा ले गई। जीडीए दफ्तर के सीसीटीवी कैमरों में रोहित, दफ्तर में दाखिल होते हुए कैद हुए हैं। यही नहीं वहां से कलेक्ट्रेट के लिए रवाना होने के पहले वह अपनी गाड़ी में ही कुछ देर तक बैठे रहे। इस तथ्य की तस्दीक सीसीटीवी फुटेज से की जा सकती है।
दो- रजिस्ट्री दफ्तर से पहले सिटी मजिस्ट्रेट के दफ्तर पहुंचे रोहित
वाटर पार्क का रजिस्टर्ड अनुबंध खत्म करने के लिए जीडीए से रोहित अग्रवाल व उनका बेटा अपनी गाड़ी से निकले थे, जबकि जीडीए सचिव राम सिंह गौतम अपनी गाड़ी से गए। परिसर से निकलते वक्त सचिव ने रोहित को बताया था कि उन्हें सिटी मजिस्ट्रेट के दफ्तर में कुछ काम है, जिसके बाद वह रजिस्ट्री दफ्तर पहुंचेंगे, मगर जब तक सचिव कलेक्ट्रेट स्थित सिटी मजिस्ट्रेट दफ्तर पहुंचते, रोहित पहले ही वहां पहुंच गए थे।
इसपर सचिव ने दोबारा उन्हें रजिस्ट्री दफ्तर जाकर प्रक्रिया शुरू कराने को कहा था। सिटी मजिस्ट्रेट के दफ्तर के बाहर लगे सीसी टीवीकैमरों में भी वाटर पार्क के साझेदार रोहित अग्रवाल व उनका बेटा अकेले कैद हुआ। इस बाबत सचिव ने अमर उजाला को बताया कि उन्हें अपना शस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरण कराना था । वह सिटी मजिस्ट्रेट के दफ्तर पहुंचे तो रोहित पहले से बाहर ही उनका इंतजार कर रहे थे। इसपर उन्होंने उन्हें रजिस्ट्री दफ्तर जाकर अनुबंध खत्म करने की प्रक्रिया पूरी करने को कहा।
तीन- सब रजिस्ट्रार दफ्तर में एक घंटे रुके रोहित, चाय भी पी
वाटर पार्क के अनुबंध निरस्त होने की प्रक्रिया पूरी होने तक पार्क के साझेदार रोहित अग्रवाल कलेक्ट्रेट स्थित सब रजिस्ट्रार (द्वितीय) के चेंबर में करीब एक घंटे तक बैठे रहे। वह और उनका बेटा वहां दोपहर 12.15 बजे पहुंचे थे। पहले दोनाें हॉल में मौजूद थे, जबकि जीडीए सचिव राम सिंह गौतम, सब रजिस्ट्रार के चेंबर में। रोहित को बैठने में दिक्कत होने पर उन्होंने उन्हें और उनके बेटे को चेंबर में ही बुला लिया था। इस दौरान रोहित व उनके बेटे ने आराम से चाय भी पी थी।
किसी तरह की घबराहट या फिर प्रताड़ना की झलक उनके चेहरे पर नहीं दिख रही थी। जो ऑडियो वायरल हुआ है, उसमें रोहित रो रहे थे और कह रहे थे कि जबरन घर से उठा ले गए थे। इस संबंध में सब रजिस्ट्रार कृष्णा कुमार तिवारी ने अमर उजाला को बताया कि उन्होंने ऑडियो सुना है। रोहित झूठा आरोप लगा रहे हैं। उन्हें कोई जबरन यहां नहीं लाया था। वह और उनका बेटा यहां आए थे। मेरी कुर्सी के दाहिनी तरफ सचिव राम सिंह गौतम बैठे थे ,जबकि सामने की तरफ दाहिने से पहली कुर्सी पर उनका बेटा और उसके बगल की कुर्सी पर रोहित बैठे थे, और कोई नहीं था। प्रक्रिया पूरी होने तक वह यहां एक घंटे तक बैठे रहे। चाय पी और आराम से यहां से गए।
अमर उजाला डॉट कॉम पर .... लोगों ने देखा-सुना
वाटर पार्क के साझेदारों के बीच बातचीत के वॉयरल ऑडियो और उसपर आधारित खबर को पढ़ने, सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने ड्डद्वड्डह्म्ह्वद्भड्डद्यड्ड.ष्शद्व सर्च किया। गुरुवार की शाम 8.20 बजे तक .... लोगों ने इस ऑडियो को सुना।
फर्जी चीजें दीपक अग्रवाल ने की। एक तरफा फर्जी चीजों का ऑडियो टेप चलवा दिया। मुझे कोई धमकी नहीं मिली। ये सब कहानी दीपक की तरफ से रची गई है। मुझे किसी ने नहीं धमकाया। ऑडियो में जो भी है सब झूठा है। दीपक की तरफ से वायरल किए गए इस ऑडियो का मैं खंडन करता हूं। मैं अपनी मर्जी से गया था अनुबंध खत्म करने। जीडीए या पुलिस के किसी अफसर ने मुझे धमकाया नहीं। - रोहित अग्रवाल, साझेदार वाटर पार्क
मुंबई चले जाएं रोहित, निरूपा रॉय से ज्यादा ख्याति मिलेगी: दीपक
रोहित को मैने नहीं, उन्होंने मुझे फोन किया था। इसका प्रमाण है मेरे पास। उन्होंने अपनी मर्जी से अगर अनुबंध निरस्त किया है तो ऐसा करने का उन्हें कोई अधिकार ही नहीं है। वह सिर्फ दो फीसदी के हिस्सेदार हैं। या तो अभी भी उनपर जीडीए के अफसरों का दबाव है या फिर वे एक्टिंग कर रहे। एक आईएएस अफसर और पुलिस के अफसरों पर इस तरह के झूठे आरोप लगाना ठीक नहीं। इसके लिए अफसरों को उनपर एफआईआर करानी चाहिए।
फर्जी तरीके से अनुबंध निरस्त करने पर फर्म भी उनपर मुकदमा दर्ज कराएगा। फर्म के किसी कार्य में हस्तक्षेप करने का रोहित को अधिकार नहीं। रोहित पर फर्म का नौ लाख रुपये पहले बकाया है। वह फ्र ॉड में जेल चले जाएंगे। वह अच्छी एक्टिंग करते हैं। उन्हें मुंबई फिल्म इडंस्ट्री चले जाना चाहिए। निरुपा राय से ज्यादा ख्याति मिलेगी। - दीपक अग्रवाल, साझेदार आरती अग्रवाल के पति
जीडीए वीसी का मोबाइल नंबर स्विच ऑफ
इस मामले में दूसरे दिन भी जीडीए उपाध्यक्ष ए. दिनेश कुमार का पक्ष जानने का प्रयास किया गया, मगर उनका ंमोबाइल नंबर स्विच ऑफ मिला। थोड़ी देर बाद नंबर खुला लेकिन संपर्क नहीं हो सका। इस संदर्भ में जीडीए उपाध्यक्ष का पक्ष जब भी आएगा, उसे प्रकाशित किया जाएगा।
जोर जबरदस्ती खुद गए थे अनुबंध खत्म करने झूठे हैं रोहित अग्रवाल